
हरतालिका तीज, जिसे हरितालिका तीज भी कहा जाता है, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. यह पर्व भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन का उत्सव है, जो विवाहित और अविवाहित महिलाओं द्वारा श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है.
पौराणिक कथा: नारी शक्ति की अटूट आस्था
हरतालिका तीज के पीछे एक अद्भुत पौराणिक कथा है, जो देवी पार्वती के अटूट प्रेम और दृढ़ निश्चय को दर्शाती है. माना जाता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी. उनके पिता, पर्वतराज हिमालय, उनका विवाह भगवान विष्णु से करवाना चाहते थे,अपनी इच्छा के विरुद्ध विवाह से बचने के लिए, देवी पार्वती की सखियाँ उन्हें गहरे वन में ले गईं, जहां उन्होंने बिना अन्न-जल ग्रहण किए कठोर तपस्या की. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया.
इस प्रकार, हरतालिका तीज, “हरत” (हरण) और “आलिका” (सखी) शब्दों से मिलकर बना है, जो देवी पार्वती के इस अद्भुत प्रसंग को याद दिलाता है.
हरतालिका तीज का महत्व
- अखंड सौभाग्य और पति की दीर्घायु: विवाहित महिलाएं यह व्रत अपने पति की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और अखंड सौभाग्य की कामना से रखती हैं.
- मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति: अविवाहित लड़कियां भी यह व्रत एक योग्य और मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए करती हैं, जो भगवान शिव जैसे गुणों से युक्त हो.
- नारी शक्ति और समर्पण का प्रतीक: यह व्रत देवी पार्वती के दृढ़ निश्चय, समर्पण और तपस्या को दर्शाता है, जिससे महिलाओं को प्रेरणा मिलती है.
व्रत विधि और अनुष्ठान
- निर्जला व्रत: हरतालिका तीज के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, जिसमें वे पूरे 24 घंटे अन्न और जल ग्रहण नहीं करती हैं.
- पूजा और श्रृंगार: सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद, महिलाएं पारंपरिक परिधानों में तैयार होती हैं, जिनमें लाल, हरे और पीले रंग की साड़ियाँ और गहने शामिल होते हैं. वे देवी पार्वती और भगवान शिव की मिट्टी या बालू की मूर्तियाँ बनाकर उनकी विधि-विधान से पूजा करती हैं.
- व्रत कथा और जागरण: हरतालिका तीज व्रत कथा का पाठ या श्रवण किया जाता है. कई जगहों पर महिलाएं रात भर जागरण कर भजन और लोकगीत गाती हैं.
- मेहंदी और झूले: मेहंदी लगाना और झूला झूलना भी इस त्यौहार का एक अभिन्न अंग है.
आधुनिक समय में हरतालिका तीज
आज भी हरतालिका तीज उतनी ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई जाती है. यह न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह महिलाओं को एक साथ आने, अपनी संस्कृति और परंपराओं को साझा करने और नारी शक्ति का जश्न मनाने का अवसर भी देता है. यह त्यौहार हमें रिश्तों में प्रेम, विश्वास और समर्पण के महत्व को याद दिलाता है.
हरतालिका तीज 2025 में मंगलवार, 26 अगस्त को मनाई जाएगी. यह तिथि और मुहूर्त आपके स्थानीय पंचांग के अनुसार भिन्न हो सकते हैं.
सभी को हरतालिका तीज की हार्दिक शुभकामनाएं!

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